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Sunday, March 9, 2014

मां के आँचल में...

अब कही नहीं जाना चाहता
थक गया हूं दुनियादारी से
सीधे घर जा रहा हूं
आराम करूंगा
मां के आँचल में सर रखके
रास्ते में हूं
जल्द पहुंचूंगा मां के पास
मेरी जन्नत वहीँ है
कोई और चाहत नहीं
नहीं जाना कहीं और
मां बुला रही है मुझे
और उसका प्यार


(C)- श्रवण शुक्ल

1 comment:

rajesh sharma said...

मां को नमन...

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